शीतकाल के लिए बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि घोषित कर दी गई है। 25 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर कपाट बंद होंगे।
मुख्य बिंदु
Toggleउत्तराखंड में स्थित बद्रीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए 25 नवंबर को बंद कर दिए जाएंगे। मंदिर समिति के अधिकारियों ने बताया कि विजयदशमी के अवसर पर पारंपरिक पूजा के बाद कपाट बंद करने का समय निर्धारित किया गया।
कपाट बंद करने का समय
बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के पीआरओ डॉ. हरीश गौर ने बताया कि 25 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाएंगे।
अन्य धामों के कपाट बंद होने की तिथि
केदारनाथ धाम और यमुनोत्री धाम के कपाट 23 अक्टूबर को बंद होंगे, जबकि गंगोत्री धाम के कपाट दिवाली के अगले दिन बंद होंगे।
कपाट बंद होने का कारण
भारी बर्फबारी और अत्यधिक ठंड के कारण हर साल अक्टूबर-नवंबर में उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित ‘चारधाम’ के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाते हैं, जो अगले साल अप्रैल-मई में फिर से खोले जाते हैं।
चारधाम यात्रा का महत्व
लगभग छह महीने तक चलने वाली ‘चारधाम यात्रा’ को राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। यह यात्रा उत्तराखंड के चार प्रमुख तीर्थ स्थलों – बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री – की यात्रा है।
बद्रीनाथ धाम
बद्रीनाथ धाम, भगवान विष्णु को समर्पित है और यह भारत के चार धामों में से एक है। यह उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है और हर साल लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं।
शीतकाल में पूजा
शीतकाल में जब बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होते हैं, तो भगवान बद्री विशाल की पूजा जोशीमठ के नरसिंह मंदिर में की जाती है।
चारधाम यात्रा का आर्थिक महत्व
चारधाम यात्रा उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इससे पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलता है और स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता है। हर साल लाखों श्रद्धालु इस यात्रा में भाग लेते हैं, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को करोड़ों रुपये का राजस्व प्राप्त होता है।
तैयारियां
कपाट बंद होने से पहले, मंदिर समिति और स्थानीय प्रशासन सभी आवश्यक व्यवस्थाएं करते हैं ताकि श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो। मार्ग को सुरक्षित बनाया जाता है और यात्रियों के लिए आवास और भोजन की व्यवस्था की जाती है।
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