उत्तराखंड बासमती: ब्रांडिंग और वैश्विक बाजार से जुड़ने की ओर एक बड़ा कदम

उत्तराखंड की बासमती चावल को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ के तहत एक नई श्रृंखला लॉन्च की गई है। यह पहल किसानों की आय बढ़ाने में कैसे मदद करेगी, जानिए।

Vibrant close-up of rice fields in Bali, showcasing growth and freshness.

उत्तराखंड के ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ ब्रांड के अंतर्गत देहरादून की प्रसिद्ध बासमती चावल की एक नई श्रृंखला लॉन्च की है। इस पहल का उद्देश्य स्थानीय कृषि को बढ़ावा देना और किसानों की आय को दोगुना करना है।

बासमती उत्पादकों का संगठन

लॉन्चिंग कार्यक्रम के दौरान देहरादून बासमती उत्पादकों का एक संगठन भी गठित किया गया है, जिसमें विकासनगर और सहसपुर क्षेत्र के लगभग 40 किसान शामिल हुए हैं। ये किसान परंपरागत खेती पद्धतियों से बासमती चावल का उत्पादन करते हैं, जिससे इसकी अनूठी सुगंध और गुणवत्ता बनी रहती है।

मंत्री गणेश जोशी की सराहना

मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि यह सिर्फ एक उत्पाद लॉन्च नहीं है, बल्कि देहरादून बासमती की गौरवशाली विरासत को पुनर्जीवित करने का एक संकल्प है। उन्होंने किसानों को संगठित होकर वृहद स्तर पर उत्पादन बढ़ाने की सलाह दी और भरोसा जताया कि यह पहल न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाएगी, बल्कि उत्तराखंड की जैविक और पारंपरिक खेती को भी नई दिशा देगी।

बासमती चावल का महत्व

बासमती चावल (Basmati Rice) अपनी खास सुगंध और स्वाद के लिए जाना जाता है। यह भारत और पाकिस्तान में मुख्य रूप से उगाया जाता है। बासमती चावल की खेती के लिए विशेष जलवायु और मिट्टी की आवश्यकता होती है।

उत्तराखंड में कृषि

उत्तराखंड (Uttarakhand) एक कृषि प्रधान राज्य है। यहाँ की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है। राज्य सरकार किसानों को विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से सहायता प्रदान करती है ताकि वे अपनी आय बढ़ा सकें और बेहतर जीवन जी सकें।

जैविक खेती का महत्व

जैविक खेती (Organic Farming) एक ऐसी कृषि प्रणाली है जिसमें रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता है। यह पर्यावरण के लिए सुरक्षित है और मानव स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर है। उत्तराखंड सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है।

आगामी कदम

सरकार का लक्ष्य है कि उत्तराखंड की बासमती चावल को अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक विशेष पहचान मिले, जिससे राज्य के किसानों को अधिक लाभ हो सके।

 

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